कहें किस्से की नेताओं के ढब अच्छे नहीं लगते //
लड़ाना धर्म , भाषा , छेत्र और जाति के नामों पर ,
सियासत के ये वही दाव सब अच्छे नहीं लगते //
जो अपने स्वार्थ आगे देश हित को ठेल देते हैं ,
हमें तो ऐसे बन्दे सब के सब अच्छे नहीं लगते /
अदब से उच्च श्रेणी तक पहुँचते हैं सभी मानव ,
ये सच है हर किसी को "बे अदब" अच्छे नहीं लगते //
जहां लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिलता ,
वहां के बाथरूमों में टब अच्छे नहीं लगते //
"जय हिंद"
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