चुनाव के आते ही जनता के प्यार में नेता , गली मुहल्लों में चक्कर लगाया करते हैं //
सभी समझते हैं उनकी पुरानी आदत को , वो सब्ज-बाग़ हमेशा दिखाया करते हैं //
नहीं है फिक्र उन्हें बिल जमा कराने की, वे तार डाल के बिजली चुराया करते हैं //
किसी उसूल पे चलना उन्हें पसंद नहीं , इसिलिये तो सभी को चलाया करते हैं //
नहीं है आज दूध का धुला कोई , यह पाठ आवाम को अक्सर पढ़ाया करते हैं //
जगाना सोये हुए को उन्हें नहीं आता,हमेशा जागे हुए को सुलाया करते हैं //
वे राष्ट्रवाद के इतने बड़े समर्थक हैं ,की संविधान सड़क पर जलाया करते हैं //
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