गुरुवार, 16 अगस्त 2012

हरेली त्यौहार

पूजा विधि 
हरेली में टोटका 
त्तीसगढ में सावन मास की अमावश को हरेली(हरियाली)अमावश कहते हैं, यह त्यौहार मूलत: हरियाली के साथ जुड़ा हुआ है। इस दिन को हम त्यौहारों की शुरुवात मानते हैं जो कि होली पर जाकर अंतिम त्योहार आता है। हरेली त्यौहार के साथ कई किंवदत्तियां जुड़ी है। मुख्यत: किसान इस त्यौहार को हर्षो-उल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन किसान अपने कृषि के उपकरणो नांगर(हल) रांपा, कुदाल, इत्यादि की पूजा करते है/  इस दिन घर में सुबह से  ही  पुरुष वर्ग घर में रखे सभी खेती सम्बंधित औजारों की धुलाई करते हैं / और औरतें चौका में  भिन्न भिन्न  प्रकार की पकवान बनाती हैं / हरेली में पूजा करने का अपना एक अलग ही विशेष नियम है / सर्व-प्रथम पूजा स्थल पर लाल मुरुम बिछाया जाता है , फिर उसके ऊपर धुले हुए सभी औजारों को रख-कर पूजा अर्चना की जाती है/
गेढ़ी 
इस दिन को छत्तीसगढ़ प्रथा के अनुसार तंत्र-मंत्र , जादू टोना का दिन भी माना जाता है / कहा जाता है की इस दिन टोनही-टोनहा { तांत्रिक }लोग अपनी मंत्र विद्या  व शक्तियों की  सिद्धियाँ की जाती है , व हरेली की रात अपनी सक्तियों का खुलकर प्रयोग करते हैं / दोपहर पश्चात्  लोग अपनी अपनी टोलियों के  साथ  गाँव की मैदानीय स्थल में इकट्ठा होते हैं , और भिन्न भिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं / इस दिन गाँव के  सभी युवक - युवतियाँ एक ही जगह  देखने को मिलते हैं / बच्चे  बाँस की गढ़ी बनाकर उसका आनंद लेते हैं / तथा गाँव की गायों को चराने  वाले चरवाहे द्वारा नीम की पत्तियों को हर घर के दरवाजे पर  लटकाया जाता है /  जिससे ये माना जाता है की इससे बुरी  सक्तियों का प्रवेश  घरों में नहीं होता / इस तरह हरेली का त्यौहार पूरी हर्षोल्लाश के साथ मना  लिया जाता है /

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